Saturday, August 7, 2010
भागवत भगवान की है आरती
भागवत भगवान की है आरती
भागवत भगवान की है आरती
पापियों को पाप से है तारती ॥
यह अमर ग्रंथ
यह मुक्ति पंथ
ये पंचम वेद निराला।
नवज्योति जगाने वाला।।
हरिगान यही वरदान यही।
जग की मंगल आरती।
पापियों को पाप से है तारती।।
सन्मार्ग दिखाने वाला
बिगड़ी को बनाने वाला ॥
यह शांतिगीत, पावन पुनीत।
कोप मिटाने वाला।
हरि दरश दिखाने वाला।
है सुख करनी
यह दुख हरनी
मधुसूदन की है आरती
पापियों को पाप से है तारती ॥
यह मधुर बोल, जग फंद खोल।
सन्मार्ग दिखाने वाला।
बिगड़ी को बनाने वाला।
श्रीराम यही, घनश्याम यही।
प्रभु की महिमा की आरती।
पापियों को पाप से है तारती ॥
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